Shunting के दौरान बरौनी जंक्शन पर दर्दनाक हादसा: रेलवे के Shunting Rules और Safety Rules का पालन करें

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Shunting के दौरान बरौनी जंक्शन पर दर्दनाक हादसा

बरौनी जंक्शन पर दिनांक 09/11/2024 दिन शनिवार की सुबह लगभग 08 बजे Shunting के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया।

गाड़ी संख्या 15204 डाउन लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस के इंजन की Shunting के दौरान कार्यरत कांटावाला/Pointsmain, अमर कुमार पुत्र स्वर्गीय राजकुमार राम उम्र लगभग 25 वर्ष की मृत्यु हो गई।

पूर्व मध्य रेलवे(ECR) के सोनपुर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक श्री विवेक भूषण सूद जी ने मौके पर पहुंचकर मृतक कर्मचारी के शोक संतप्त परिजनों से मिलकर सांत्वना दी और घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए।

रेलवे में लापरवाही और मानवीय गलतियों की वजह से ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है हैं, जिसे भारतीय रेलवे द्वारा लागू Shunting नियमों और सुरक्षा निर्देशों का कड़ाई से पालन करके बचाया जा सकता है।

आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से भारतीय रेलवे द्वारा निर्मित और प्रकाशित सामान्य और सहायक नियम (General and Subsidiary Rules) जिसे संक्षेप में G&SR भी कहते हैं के Shunting नियमों और सुरक्षा नियमों की जानकारी प्राप्त करेंगे, जो सभी क्षेत्रीय रेलवे और मंडलों में भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार आमूल चूल संशोधनों के साथ अनिवार्य रूप से लागू है।

रेलवे में मार्शलिंग और shunting के दौरान G&SR और परिचालन नियमावली के अनुसार निर्दिष्ट नियमों को हम स्टेप बाय स्टेप सीखेंगे जिससे संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

Shunting कार्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिग्नल

भारतीय रेलवे में shunting कार्य के लिए लागू सिग्नलों के अंतर्गत निम्नलिखित सिग्नल जैसे हैंड सिग्नल, फिक्स्ड डिस्क टाईप/सीमाफोर सिग्नल, कलर लाइट सिग्नल इत्यादि का पालन किया जाता है। जिसका वर्णन G&SR के अध्याय 3 के नियम संख्या 3.52 से 3.58 तक में किया गया है।

नोट: सिग्नलों के जानकारी के लिए मै आम लोगों को बताना चाहूंगा कि किसी भी सिग्नल के ON और OFF एस्पेक्ट के मायने क्या हैं-

ON एस्पेक्ट का सीधा अर्थ है सर्वाधिक प्रतिबंधित एस्पेक्ट, मतलब ये एस्पेक्ट लोको पायलट को कोई भी कार्य करने से रोकता है और सिग्नल के OFF होने का इंतजार करना है।

OFF एस्पेक्ट में ट्रेन के लोको पायलट को रेलवे के परिचालन नियमों के अनुसार कार्य करने की अनुमति मिलती है, मतलब लोको पायलट को नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार चलना है।

1. Disc Type/चकरी वाले Shunting सिग्नल

सफेद चकरी पर लाल पट्टी युक्त ये सिग्नल सबसे प्राचीन और और वर्तमान में अप्रचलित shunting सिग्नल है। ये दो प्रकार, द्विसंकेति और बहुसंकेती प्रकार का होता है, जिसमे ऑन स्थिति में चकरी पर लाल पट्टी क्षैतिज अवस्था में रहती है तथा ऑफ स्थिति में लाल पट्टी युक्त चकरी द्विसंकेती और बहुसंकेती पोजीशन के अनुसार क्रमशः लगभग 45 डिग्री नीचे अथवा ऊपर झुका दी जाती है जिससे ट्रेन के लोको पायलट को सावधानी पूर्वक धीरे धीरे आगे बढ़ने का संकेत मिलता है।

द्विसंकेति व्यवस्था में रात में ऑन स्थिति में एक छोटी लाल बत्ती तथा ऑफ स्थिति में एक छोटी हरी बत्ती जलती है।

बहुसंकेती व्यवस्था में रात में ऑन स्थिति में एक लाल बत्ती तथा ऑफ स्थिति में एक पीली बत्ती जलती है।

2. सेमाफोर भुजा वाले Shunting सिग्नल

यह सफेद पट्टी युक्त लाल रंग की आयताकार छोटी भुजा का बना होता है।

Semafore भुजा वाले Shunting सिग्नल भी दो प्रकार के होते हैं।

a. द्विसंकेती सेमाफोर भुजा वाले shunt सिग्नल: इसमें दिन में ऑन स्थिति में छोटी भुजा क्षैतिज अवस्था में रहती है तथा ऑफ स्थिति में 45 डिग्री नीचे झुका दी जाती है और रात में ऑन स्थित में एक छोटी लाल बत्ती जलती है तथा ऑफ स्थिति में एक छोटी हरी बत्ती जलती है। ऑन स्थिति में लोको पायलट रुका रहेगा तथा shunt सिग्नल के ऑफ होने का इंतजार करेगा, ऑफ स्थिति में लोको पायलट shunting के लिए सतर्कता पूर्वक धीरे धीरे आगे बढ़ेगा।

b. बहुसंकेती सेमाफोर भुजा वाले shunt सिग्नल: इसमें दिन में ऑन स्थिति में छोटी भुजा क्षैतिज अवस्था में रहती है तथा ऑफ स्थिति में 45 डिग्री ऊपर झुका दी जाती है और रात में ऑन स्थित में एक छोटी लाल बत्ती जलती है तथा ऑफ स्थिति में एक छोटी पोली बत्ती जलती है। ऑन स्थिति में लोको पायलट रुका रहेगा तथा shunt सिग्नल के ऑफ होने का इंतजार करेगा, ऑफ स्थिति में लोको पायलट shunting के लिए सतर्कता पूर्वक धीरे धीरे आगे बढ़ेगा।

3. स्थिर बत्ती वाले shunting सिग्नल

इसमें दिन और रात दोनों समय में ऑन स्थिति में दो सफेद बत्ती क्षैतिज अवस्था में जलती हैं तथा ऑफ स्थिति में दो सफेद तिरछी लाइट जलती हैं यदि यह स्वतंत्र रूप से लगा है तो और यदि यह किसी अन्य सिग्नल के नीचे लगा है तो ऑन स्थिति में कोई बत्ती नहीं जलती है और ऑफ स्थिति में दो तिरछी बत्ती जलती है।

ऑन स्थिति में लोको पायलट एकदम रुका रहेगा और ऑफ स्थिति में shunting कार्य हेतु धीरे धीरे सावधानी पूर्वक आगे बढ़ेगा।

4. Shunting के लिए हैंड सिगनल

रेलवे के shunting कार्यों में किसी गाड़ी को काटने, जोड़ने अथवा लोको को काटने और जड़ने के लिए हैंड सिग्नल सबसे महत्वपूर्ण सिग्नल है।

इसके लिए ट्रेन के ट्रेन मैनेजर अथवा यार्ड मास्टर अथवा स्टेशन मास्टर, shunting सुपरवाइजर के रूप में अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहेंगे और लोको पायलट से हैंड सिग्नल और वॉकी टॉकी के माध्यम से संपर्क में रहेंगे।

Shunting के दौरान हैंड सिगनल के बेहतर प्रदर्शन और वर्णन के लिए text माध्यम से समझा पाना थोड़ा मुश्किल है इसलिए मैं इमेज के माध्यम से सभी तरह के हैंड सिग्नल को दर्शा रहा हूं।

विभिन्न परिस्थितियों में shunting के दौरान गाड़ी/इंजन की गति

शंटिंग संचालन के दौरान गति किसी भी दशा में 15 किमी/घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।

रोलर बीयरिंग से युक्त स्टॉक की shunting गति

a. जब अकेले रोलर बीयरिंग युक्त स्टॉक की shunting की जा रही हो तो अधिकतम गति 5 kmph होनी चाहिए।

b. जब 5 या 5 से अधिक रोलर बीयरिंग युक्त स्टॉक की shunuing की जा रही हो तो अधिकतम गति 2.4 kmph होनी चाहिए।

Shunting का नियंत्रण

शंटिंग ऑपरेशन स्टेशनों या यार्डों पर किए जाते हैं। आवश्यकतानुसार शंटिंग लोको की मदद से कोचिंग स्टॉक के साथ-साथ माल स्टॉक को भी शंट किया जाता है।

लोको को कोच या वैगन से जोड़ते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए। यह लोड पर लिए जा रहे लोको के लिए भी लागू है। (सामान्य नियम 5.13, 5.14 और 5.15 में सावधानियाँ दी गई हैं।)

शंटिंग के उद्देश्य से वैगन या कोच के पास जाते समय, चालक को लोको को केवल आगे वाली कैब से ही चलाना चाहिए क्योंकि इससे बेहतर दृश्यता मिलती है और चालक को स्थिति का सही-सही अंदाजा लगाने में मदद मिलती है।

लोको को उस कोच से लगभग 20 मीटर पहले रोक देना चाहिए जिससे लोको को जोड़ा जाना है। इसके बाद लोको को पॉइंट्समैन या गार्ड के संकेतों का पालन करते हुए कोच या वैगन की ओर ‘बहुत धीमी’ गति से ले जाना चाहिए ताकि लोको ऊपर की ओर बढ़े और कोच या वैगन से बिना किसी झटके के आसानी से संपर्क बनाए।

ऐसे स्टेशनों पर लोको को कोच या वैगन से जोड़ते समय, जहाँ ढाल स्टेशन से दूर (और निकट आने वाली ट्रेनों की ओर) 400 में से 1 से अधिक है, शंटिंग लोको को गिरती ढाल की ओर ले जाने के साथ की जानी चाहिए (क्लास बी स्टेशनों पर)।

लूज़ शंटिंग

लूज़ शंटिंग का अर्थ है कि किसी लोको द्वारा वाहनों को धकेला जा रहा है और उन्हें बिना जोड़े (अनकपल) आगे बढ़ने दिया जा रहा है। इसमें हंप शंटिंग शामिल है। क्रेन, यात्रियों, श्रमिकों, विस्फोटकों, खतरनाक सामान, पशुधन या किसी अन्य निर्दिष्ट वाहनों को ले जाने वाले वाहनों को लूज़ शंट नहीं किया जाना चाहिए।

पर्यवेक्षण

सड़क किनारे के स्टेशनों के अलावा अन्य स्टेशनों पर जहाँ अलग से शंटिंग स्टाफ़ उपलब्ध कराया जाता है, शंटिंग संचालन की निगरानी स्टेशन कार्य नियमों में निर्दिष्ट सक्षम व्यक्ति द्वारा की जानी चाहिए। सड़क किनारे के स्टेशनों पर, ट्रेन के ट्रेन मैनेजर को स्टेशन मास्टर के निर्देशों के तहत अपनी ट्रेन से जुड़ी सभी शंटिंग की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करनी चाहिए।

ऐसी दुर्घटनाएं रोकने के लिए भारतीय रेल की पहल

भारतीय रेल ऐसी दुर्घटनाओं को लेकर बहुत ही संवेदनशील है। और समय समय पर सेफ्टी सेमिनार, सुरक्षा और संरक्षा परिपत्र के माध्यम से कर्मचारियों को जागरूक करती रहती है। भारतीय रेल समय समय पर नई तकनीकों और व्यवस्थाओं को भी लागू करती है, उदाहरण के तौर पर Shunting के लिए कपलिंग व्यवस्था को अपग्रेड करना। मै भारतीय रेल में कुछ प्रचलित कपलिंग व्यवस्था से आपको परिचय करा दे रहा हूं।

1. स्क्रू कपलिंग

यह कपलिंग भारतीय रेल में प्राचीन काल से ही प्रचलित है। इसमें इंजन से गाड़ी के डिब्बों अथवा डिब्बों से डिब्बों को कपल करने अर्थात जोड़ने के लिए रेल कर्मी को इंजन और गाड़ी के बीचों बीच दोनों बफर के मध्य अपनी पोजीशन बनाकर खड़ा होना पड़ता है, और इंजन तथा गाड़ी के संघात के समय नकल को हुक में फंसाकर उसमें उपलब्ध स्क्रू को घुमाते हुए टाइट करना पड़ता है। इसमें रेलकर्मी हमेशा जोखिम में होता है, जिसे देखते हुए रेलवे इस व्यवस्था को धीरे धीरे अपग्रेड कर रहा है , और नई व्यवस्था सीबीसी कपलिंग लागू करती है।

2.सीबीसी कपलिंग(Centre Buffer Coupler)

इस प्रकार की कपलिंग भारतीय रेलवे में ज्यादा प्रचलित है और काफी हद तक सुरक्षित भी है। इसमें रेल कर्मचारी को गाड़ी के डिब्बों और इंजन के बीच में नहीं खड़ा होना पड़ता है।

इस व्यवस्था में गाड़ी और इंजन में बफर के बगल में ही बाहर की तरफ एक कपलिंग रॉड दिया होता है, रॉड को पकड़कर उठाने से सीबीसी coupler खुल जाता है और इंजन द्वारा धीरे से धक्का मारने से कॉपलर स्वतः सेट हो जाता है।

और अनकॉपल करने के लिए कपलिंग रॉड को पकड़कर उठाने से कॉपलर फ्री हो जाता है और इंजन अथवा गाड़ी को एक दूसरे से पृथक कर दिया जाता है।

3.शाकु कपलिंग

इस प्रकार की कपलिंग व्यवस्था भारतीय रेल में एमू और डेमू रेक की कपलिंग के लिए प्रदान की गई है।

निष्कर्ष

Shunting के दौरान केवल प्रशिक्षित रेलकर्मी ही shunting पर्यवेक्षक की उपस्थिति में गाड़ी अथवा इंजन को काटने और जोड़ने का कार्य करेगा। कितना भील दबाव हो जल्दबाजी में नियमों का उल्लंघन नहीं करना है। वॉकी टॉकी के माध्यम और हैंड सिग्नल के माध्यम से लोको पायलट से लगातार संपर्क बनाए रखना है। गाड़ी को काटते और जोड़ते समय किसी भी परिस्थिति में अपने शरीर का कोई भी हिस्सा विपरीत दिशा के दोनों बफर के बीच में नहीं लाना है। Shunting के दौरान अपने आपको पर्याप्त सुरक्षित स्थान पर संयोजित करना है।

उपरोक्त बताए गए नियमों और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने से संभावित दुर्घटना से बचा जा सकता है।

11 thoughts on “Shunting के दौरान बरौनी जंक्शन पर दर्दनाक हादसा: रेलवे के Shunting Rules और Safety Rules का पालन करें”

  1. इसकी अच्छे से जानकारी कर के दुर्घटना से बचा जा सकता है

  2. आज आपके द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पे पोस्ट डाला गया है जो सेफ्टी से जुड़ा है। इस पोस्ट के माध्यम से अपने आप को अपडेट करने का प्रयास करेंगे।आप इसी प्रकार का पोस्ट आगे भी डालते रहिए सर।

  3. Santosh kumar

    Atyant Dukhad evam Hriday vidarak ghatna hai. Swayam ki Sanraksha evam suraksha ko dhyan me rakhte hue surakshit evam sanrakshit tarike se Rail seva me Apna yogdan dena hai.

  4. Akhilesh kumar

    रेल कर्मचारी की गलती से इतना बड़ा हादसा

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