भारतीय रेलवे ने जम्मू और कश्मीर में 1st Cable-Stayed Rail Bridge का परीक्षण पूरा कर लिया है।

Cable-Stayed Rail Bridge
Cable-Stayed Rail Bridge

Cable-Stayed Rail Bridge:जम्मू और कश्मीर के रियासी क्षेत्र में, भारतीय रेलवे ने देश के पहले केबल-स्टेड रेल पुल, अंजी खड्ड पुल पर एक टावर वैगन का परीक्षण पूरा कर लिया है। जनवरी 2025 में सेवाएं शुरू होने की उम्मीद के साथ, यह उपलब्धि कश्मीर घाटी और देश के बाकी हिस्सों के बीच रेल संपर्क की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने परियोजना की प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए ट्रायल रन का एक वीडियो पोस्ट किया। रेल मंत्रालय ने कहा, “उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अंजी खड्ड पुल का ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।”

पहला Cable-Stayed Rail Bridge अंजी खड्ड रेल पुल

भारतीय रेलवे ने जम्मू और कश्मीर में अपनी ऐतिहासिक परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) के तहत देश के पहले Cable-Stayed Rail Bridge का सफल परीक्षण पूरा किया है।

इस अद्वितीय पुल को अंजी खड्ड पुल के नाम से जाना जाता है। यह पुल भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का बेजोड़ उदाहरण है और जम्मू-कश्मीर के कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में रेलवे कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

भारतीय रेलवे ने जम्मू और कश्मीर के उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना के तहत देश के पहले Cable-Stayed Rail Bridge का सफल परीक्षण पूरा कर लिया है।

यह ऐतिहासिक पुल चिनाब नदी की सहायक नदी अंजी खड्ड पर बना है और इसे इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना माना जा रहा है। यह भारत की उन्नत इंजीनियरिंग और रेलवे के विकास का प्रतीक है। इस ब्लॉग में हम इस पुल के महत्व, इसकी निर्माण प्रक्रिया, और इसकी तकनीकी विशेषताओं पर चर्चा करेंगे।

Cable-Stayed Rail Bridge: एक परिचय

अंजी खड्ड पुल, एक इंजीनियरिंग आश्चर्य है, जिसमें नदी के किनारे से 331 मीटर ऊपर एक ही तोरण है, जिसका निर्माण पिछले महीने पूरा हुआ। इसकी कुल लंबाई 473.25 मीटर है और यह अपने मध्य और पार्श्व विस्तार पर 48 केबलों द्वारा समर्थित है। केंद्र का तटबंध 94.25 मीटर लंबा है, जबकि पुल 120 मीटर लंबा है।

Cable-Stayed Rail Bridge पुलों की आधुनिक तकनीक का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस प्रकार के पुल में मुख्य डेक को सीधे पायलन (ऊंचे खंभे) से केबल्स द्वारा सहारा दिया जाता है। यह न केवल संरचना को मजबूत बनाता है, बल्कि इसे लंबी अवधि तक टिकाऊ भी बनाता है।

चिनाब नदी की सहायक नदी अंजी खड्ड पर बना यह पुल न केवल जम्मू और कश्मीर में रेलवे कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा, बल्कि यह क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सहायक होगा। इसे ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो भारत की स्वदेशी इंजीनियरिंग क्षमताओं को दर्शाता है।

पुल की विशेषताएं

चिनाब पुल के बाद, जो नदी के तल से 359 मीटर ऊपर है और विश्व रिकॉर्ड रखता है, यह पुल भारत का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे पुल है। व्यापक यूएसबीआरएल परियोजना, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में संचार में सुधार करना है, में दोनों पुल शामिल हैं।

अधिकारियों का दावा है कि यूएसबीआरएल परियोजना के 272 किलोमीटर में से 255 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है। दिसंबर 2024 तक कटरा और रियासी के बीच का शेष हिस्सा भी पूरा हो जाना चाहिए।

अंजी खड्ड पुल की मुख्य विशेषताएं

1. लंबाई और ऊंचाई

पुल की कुल लंबाई: 725.5 मीटर

ऊंचाई: यह पुल 196 मीटर की गहराई वाली अंजी खड्ड के ऊपर बना है, जो इसे एक अद्वितीय ऊंचाई प्रदान करता है।

2. डिजाइन और संरचना

यह पुल केबल-स्टे तकनीक पर आधारित है।

इसके मुख्य पायलन (खंभे) की ऊंचाई लगभग 193 मीटर है।

पुल में कुल 96 केबल्स का उपयोग किया गया है, जो इसे संतुलित और मजबूत बनाते हैं।

3. भूकंप-रोधी क्षमता

यह पुल अत्यधिक भूकंप-रोधी डिजाइन पर आधारित है, ताकि यह भूकंप के झटकों को सह सके।

4. वातावरण के अनुकूल

अंजी खड्ड पुल को पर्यावरणीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। निर्माण के दौरान पर्यावरणीय क्षति को कम से कम रखने का प्रयास किया गया।

5. भार क्षमता और परीक्षण

पुल को भारी भार और तेज गति वाली ट्रेनों के लिए तैयार किया गया है। भारतीय रेलवे ने इसके लिए अत्याधुनिक लोड परीक्षण और वायुगति परीक्षण किए हैं।

निर्माण प्रक्रिया की चुनौतियां

1. भौगोलिक कठिनाइयां

चिनाब नदी की घाटी में निर्माण करना इंजीनियरों के लिए एक बड़ी चुनौती थी। नदी की तेज धारा और खड़ी ढलानों के कारण निर्माण कार्य जटिल था।

2. मौसम की प्रतिकूलता

जम्मू और कश्मीर में कठोर सर्दी और भारी बर्फबारी ने निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित किया।

3. तकनीकी जटिलताएं

केबल-स्टे तकनीक को अपनाने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञता और आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता थी। इसके लिए भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों की संयुक्त टीम ने काम किया।

इस पुल का महत्व

1. रेलवे कनेक्टिविटी

चिनाब नदी की सहायक नदी पर बना यह पुल जम्मू और कश्मीर के सुदूर इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।

2. आर्थिक विकास

यह पुल क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगा, साथ ही स्थानीय निवासियों के लिए व्यापार और रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा।

3. रक्षा और सुरक्षा

यह पुल भारत की रक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेगा, क्योंकि यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

4. पर्यटन को बढ़ावा

इस पुल की भव्यता इसे एक पर्यटन स्थल बना सकती है। पर्यटक इसे देखने के लिए आकर्षित होंगे, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

भारतीय रेलवे की भविष्य की योजनाएं

भारतीय रेलवे ने Cable-Stayed Rail Bridge के सफल निर्माण के बाद भविष्य में और अधिक आधुनिक पुलों के निर्माण की योजना बनाई है। यह परियोजना भारतीय रेलवे की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का हिस्सा है।

निष्कर्ष

चिनाब नदी पर बना Cable-Stayed Rail Bridge भारत की इंजीनियरिंग क्षमताओं का जीवंत उदाहरण है। यह पुल न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। भारतीय रेलवे का यह प्रयास आने वाले समय में न केवल जम्मू और कश्मीर को, बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित करेगा।

इस पुल के माध्यम से भारत ने विश्वस्तरीय इंजीनियरिंग और रेलवे कनेक्टिविटी के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। यह परियोजना भारतीय रेलवे और देश के विकास के लिए एक नया अध्याय लिखने की क्षमता रखती है।

6 thoughts on “भारतीय रेलवे ने जम्मू और कश्मीर में 1st Cable-Stayed Rail Bridge का परीक्षण पूरा कर लिया है।”

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