प्रयागराज के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व वाले दारागंज रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड: DRGJ) ने 09 दिसंबर 2024 को अपनी सेवा को हमेशा के लिए बंद कर दिया।
यह खबर न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि यात्रियों और तीर्थयात्रियों के लिए भी भावनात्मक झटका है, क्योंकि दारागंज रेलवे स्टेशन दशकों से प्रयागराज के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है।
दारागंज रेलवे स्टेशन, प्रयागराज जंक्शन से 6 किलोमीटर, प्रयागराज रामबाग से 3 किलोमीटर, झूंसी से 4 किलोमीटर, नैनी से 13 किलोमीटर, फाफामऊ जंक्शन से 9 किलोमीटर, प्रयाग जंक्शन से 3 किलोमीटर, प्रयाग घाट से 500 मीटर, की दूरी पर स्थित है जो कि सभी माघ मेला, अर्ध कुंभ, कुंभ और महाकुंभ मेले का केंद्र बिंदु हुआ करता था।
दारागंज रेलवे स्टेशन का इतिहास
दारागंज रेलवे स्टेशन की स्थापना 20वीं सदी के प्रारंभ में 1908 के आसपास हुई थी। दारागंज रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के पूर्वोत्तर रेलवे जोन के वाराणसी मंडल के वाराणसी-प्रयागराज रामबाग खंड में पड़ता है। दारागंज रेलवे स्टेशन पर मुख्य रूप से दो लाइनें और दो प्लेटफार्म थे, जिसमें लाइन नंबर 1, लूप लाइन थी और प्लेटफार्म नंबर 1 को दर्शाती थी और लाइन नंबर 2 मेन लाइन थी और यह प्लेटफार्म नंबर 2 को दर्शाती थी।
यहां नियमित ठहराव वाली अप और डाउन कुल 9 यात्री गाड़ियां थी। इसे मुख्य रूप से प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्रियों और स्थानीय यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया था। यह स्टेशन प्रयागराज के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों जैसे संगम, बड़े हनुमान मंदिर, और दारागंज घाट के नज़दीक स्थित है। दशकों तक इस स्टेशन ने लाखों यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का कार्य किया।
दारागंज रेलवे स्टेशन से मेरा व्यक्तिगत संबंध
दारागंज रेलवे स्टेशन से मेरा व्यक्तिगत रूप से बहुत गहरा संबंध है। मै अपनी मैट्रिक की पढ़ाई के पश्चात ग्रेजुएशन के दौरान कंपटीशन की तैयारी हेतु 2000 से 2002 तक दारागंज में एक लाज में रहता था। उसी दौरान 2001 में प्रयागराज में महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ था जिसमें वलसाड(गुजरात) से मेरे पिताजी(पिताजी वलसाड में कार्यरत थे) के कुछ दोस्त और उनकी फैमिली घूमने के लिए महाकुंभ प्रयागराज आए थे, उस समय मैने उन लोगों के रहने की व्यवस्था लाज में ही कर दी थी और उन लोगों को कुंभ मेला घुमाया और संगम स्नान करवाया।
मेरी व्यवस्था और सत्कार भाव से वो लोग काफी प्रभावित हुए और मुझे भी बहुत अच्छा लगा। इस घटना ने मेरे दिलों दिमाग में घर कर लिया और और मन ही मन सोचने लगा था कि कास मुझे ऐसी सेवा का अवसर दुबारा प्राप्त हो। मेरे इस विचार और संकल्प को मेरे अवचेतन मन ने स्वीकार कर लिया था और उसके अनुरूप अपना कार्य करने लगा था। मुझे कुछ नहीं पता था कि मैं क्या बनूंगा और कहां जाऊंगा। अब आप चाहे इसे कुदरत का करिश्मा कहें या अवचेतन मन की शक्ति लेकिन मेरे लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं है।
2006 में मेरी पहली नौकरी रेलवे में डीजल लोको शेड बांद्रा मुंबई में लगी। 2006 से 2009 के दौरान वैसे तो मेरा चयन रेलवे में कई पदों के लिए कई जगह हुआ किंतु मैने गुड्स गार्ड के रूप में 2009 में कर्नाटक के हुबली मंडल के होसपेट में ज्वाइन किया, उसी दौरान मेरा फाइनल सलेक्शन सहायक स्टेशन मास्टर के लिए आर आर बी गोरखपुर बोर्ड से भी हुआ था किंतु गोरखपुर ज्वाइनिंग में लेट कर रहा था इसलिए मैने दुबारा गुड्स गार्ड हुबली होसपेट ज्वाइन कर लिया।
किंतु हमेशा यही सोचता था कि स्टेशन मास्टर हेतु NER गोरखपुर जब कॉल करेगा मै घर के नज़दीक होने के कारण SM ज्वाइन कर लूंगा। और ठीक वैसा ही हुआ जैसा मेरे अवचेतन मन और विधाता ने प्रक्रिया कर रखी थी, जनवरी 2012 में मुझे SM के लिए ट्रेनिंग हेतु मुजफ्फरपुर के लिए कॉल किया गया, मै तत्काल ट्रेनिंग में चला गया। जून 2012 में मेरी ट्रेनिंग पूरी हुई।
सितंबर 2012 में मुझसे पोस्टिंग हेतु विकल्प मांगा गया तो मैने प्रयागराज के नजदीकी कुछ स्टेशनों के नाम अपने DTI श्री रामजी यादव जी को दे दिया और उनसे अनुरोध किया कि मुझे प्रयागराज के नज़दीक ही कोई स्टेशन दीजियेगा। उस समय तक सिर्फ दारागंज ही मेरे दिमाग में नहीं था। लेकिन इसे कुदरत का करिश्मा नहीं तो और क्या कहेंगे मेरी पोस्टिंग दारागंज रेलवे स्टेशन पर ही हो गई और मैने 08/09/2012 को सहायक स्टेशन मास्टर के रूप में दारागंज में ज्वाइन कर लिया।
उसके कुछ ही महीनों के बाद अगला महाकुंभ 2013 का आयोजन भी प्रारंभ हो गया और उसका केंद्र बिंदु दारागंज रेलवे स्टेशन था। और मुझे वहां का डिप्टी एस एस बना दिया गया कुंभ मेले तक के लिए। अब मुझे 2001 के महाकुंभ की वो पुरानी बातें याद आने लगी और आनंदित करने लगी जो मैने उस समय सोचा था। दारागंज रेलवे स्टेशन पर मुझे एस एस श्री रविशंकर मिश्र जी, एस एस श्री अमरनाथ उपाध्याय जी से बहुत कुछ सीखने को मिला। मै आज भी उनके लिए कृतज्ञ हूं। मैने 2013 के महाकुंभ में मन लगाकर काम किया और लोगों की खूब सेवा किया। इसलिए दारागंज रेलवे स्टेशन से मेरा व्यक्तिगत रूप से बहुत गहरा संबंध है।
दारागंज रेलवे स्टेशन पर सामयिक कार्यपद्धतियां
प्रारंभ में दारागंज रेलवे स्टेशन मीटर गेज का हुआ करता था। सन 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्हा राव जी द्वारा ब्रॉड गेज की शुरुआत की गई और 1994 के अंत में रामबाग-वाराणसी खंड में ब्रॉड गेज प्रारंभ हो गया।
किंतु दारागंज झूंसी और दारागंज प्रयागराज रामबाग के मध्य 2022 तक टोकन युक्त ब्लॉक यंत्र कार्यशील थे। पॉइंट्स और सिग्नलों का अंतर्पाषण नामित चाभियों A B C D E F G एवं H द्वारा मिलान करके और सुनिश्चित करके किया जाता था। सिग्नलों को सिग्नल पैनल पर लगे लिवरों के द्वारा ऑपरेट किया जाता था। शाम होते ही सभी सिग्नलों और कांटो पर ढिबरियों में मिट्टी का तेल डालकर उन्हें उचित ढंग से जलाकर उपयुक्त स्थान पर लगा दिया जाता था।
2022 के अंत तक दारागंज रेलवे स्टेशन पर कलर लाइट सिग्नलिंग और रेलवे विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर अत्याधुनिक सिग्नलिंग व्यवस्था लागू कर दी गई थी। किन्तु ब्रिटिश काल में गंगा नदी पर बना इज्जत(izot bridge) ब्रिज नंबर 111 से कई तरह की परिचानलिक दिक्कतें होती थी क्योंकि यह ब्रिज मीटर गेज के अनुसार बना हुआ था।
जिसे रेल प्रशासन द्वारा कुछ संशोधनों के द्वारा ब्रॉड गेज की गाड़ियों के लिए अनुमोदित(लागू) किया गया था, जैसे प्रयागराज रामबाग से आने वाली मालगाड़ियों को दारागंज रेलवे स्टेशन पर रोका जाता था उसके चालक और गार्ड को सतर्कता आदेश दिया जाता था और सभी ढाले और दरवाजे बंद हैं यह सुनिश्चित करके कंट्रोलर से प्राइवेट नंबर का आदान प्रदान करके, और यात्री गाड़ियों में यह सुनिश्चित किया जाता था कि कोई भी यात्री गाड़ी की छत पर नहीं बैठा है और न ही कोई यात्री दरवाजे पर लटका है, तब गाड़ी को प्रस्थान प्राधिकार दिया जाता था।
और ठीक यही प्रक्रिया झूंसी स्टेशन पर अपनाई जाती थी, जिससे सभी तरह की गाड़ियों का अतिरिक्त निलंबन होता था। किंतु 09/12/2024 से पुराने पुल के समानांतर डबल लाइन के नए पुल का निर्माण करके अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सिगनलिंग व्यवस्था द्वारा दारागंज रेलवे स्टेशन के सामने से नई लाइन का निर्माण करके परिचालन प्रारंभ कर दिया गया है।
क्यों बंद हुआ दारागंज रेलवे स्टेशन?
दारागंज रेलवे स्टेशन के स्थायी बंद होने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं:
1. आधुनिक रेल यातायात का विकास:
प्रयागराज जंक्शन और अन्य प्रमुख स्टेशनों पर सुविधाओं के विस्तार और बेहतर कनेक्टिविटी के कारण दारागंज स्टेशन की महत्ता धीरे-धीरे कम हो गई।
2. यात्री संख्या में गिरावट:
पिछले कुछ वर्षों में स्टेशन पर यात्रियों की संख्या में लगातार कमी आई, जिससे इसका संचालन लाभदायक नहीं रह गया।
3. रेलवे का पुनर्गठन:
रेलवे प्रशासन द्वारा नई योजनाओं और मार्गों के विकास के तहत स्टेशन को बंद करने का निर्णय लिया गया।
दारागंज का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
दारागंज रेलवे स्टेशन न केवल एक परिवहन केंद्र था, बल्कि प्रयागराज के सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने का हिस्सा भी था।
1. तीर्थयात्रियों का प्रवेशद्वार
दारागंज स्टेशन संगम और बड़े हनुमान मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख केंद्र था।त्रिवेणी घाट संगम, अकबर का किला, अक्षय वट इत्यादि विशेष रूप से कुंभ और अर्धकुंभ मेलों के दौरान इस स्टेशन पर यात्रियों की भारी भीड़ होती थी।
2. स्थानीय जीवन का अभिन्न हिस्सा
दारागंज के आसपास रहने वाले लोगों के लिए यह स्टेशन उनकी रोज़मर्रा की यात्रा का आधार था। स्थानीय व्यापारी और छात्र भी इसका नियमित उपयोग करते थे।
यात्रियों की भावनात्मक प्रतिक्रिया
दारागंज रेलवे स्टेशन के बंद होने की खबर ने स्थानीय लोगों और यात्रियों के बीच मिश्रित भावनाएं उत्पन्न की हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्टेशन के बंद होने से उन्हें अन्य स्टेशनों पर निर्भर रहना पड़ेगा, जो उनके लिए समय और धन दोनों के लिहाज से असुविधाजनक है।
तीर्थयात्रियों के लिए यह एक बड़ा नुकसान है, क्योंकि दारागंज स्टेशन का स्थान धार्मिक स्थलों के करीब था।
रेलवे प्रशासन की योजनाएं
हालांकि दारागंज स्टेशन को बंद कर दिया गया है, रेलवे प्रशासन ने इसके स्थान पर कुछ वैकल्पिक योजनाओं का सुझाव दिया है:
1. आधुनिक रेलवे नेटवर्क:
प्रयागराज के अन्य स्टेशनों जैसे प्रयागराज जंक्शन और प्रयाग स्टेशन पर बेहतर सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
2. स्मारक निर्माण की संभावना:
दारागंज रेलवे स्टेशन को एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में विकसित करने की योजना पर विचार किया जा सकता है।
दारागंज रेलवे स्टेशन की यादें
दारागंज रेलवे स्टेशन केवल एक स्टेशन नहीं था; यह उन लाखों यात्रियों के जीवन का हिस्सा था जिन्होंने यहां से अपनी यात्रा शुरू की या समाप्त की। स्टेशन की छोटी संरचना, स्वच्छता, और आसपास के धार्मिक स्थलों की खुशबू आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है।
निष्कर्ष
09/12/2024 को दारागंज रेलवे स्टेशन का बंद होना प्रयागराज के लिए एक युग के अंत जैसा है। यह स्टेशन अपनी सादगी और ऐतिहासिक महत्व के कारण हमेशा याद किया जाएगा।
दारागंज रेलवे स्टेशन का बंद होना हमें इस बात की याद दिलाता है कि विकास और आधुनिकता के बीच इतिहास और परंपराओं को सुरक्षित रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह स्टेशन हमेशा प्रयागराज के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना रहेगा।
क्या आपने दारागंज रेलवे स्टेशन से यात्रा की है? अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें!
Hamari v pahli posting 2013.
Aap purani yade taza kr diye.
Thanks sir.
Very nice 👍
बहुतबहुत अच्छा लगा
आपकी जीवनी भी काफी रोमांचित है
आप का लेख रोचक एवं ज्ञानवर्धक है। चूंकि मैं भी दारागंज रेलवे स्टेशन पर स्टेशन पर स्टेशन अधीक्षक के रूप में सेवा किया हूं एवं २०१२/१३महाकुम्भ के आयोजन के प्रबंध का हिस्सा रहा हूं। तथा मेला यात्रीयों की सेवा का अवसर भी मिला परन्तु उक्त महाकुंभ में इलाहाबाद जंक्शन पर हुए भगदड़ की जांच कमेटी की अनुशंसा पर बाद के मेला एवं कुम्भ मेला में दारागंज स्टेशन को यात्रीयों के लिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रतिबंधित कर दिया गया था। अब यह स्टेशन हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है। इस स्टेशन से मेरा भी जुड़ाव एवं लगाव है एवं रहेगा।
बहुत ही खूबसूरत यादों को अपने महत्वपूर्ण जानकारी के साथ दर्शाया है🥰🥰♥️
Nice information 🥰
Aapke anubhavo ko jaankar atyant prasannata hui. Sangam k sabse nikat sthit station ke band hone se thodi nirasha avashya hui.
Thanks Santosh ji
Thanks bhaiya
Thanks sir
Thanks mama ji
Thanks
Thanks
Thanks
अविस्मरणीय संस्मरण पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
बहुत बहुत शुभकामनाएं
Thanks bhaiya ji
Very nice sir
thanks